लाखों भारतीयों के घरों में हर महीने की 28-29 तारीख़ आते ही एक अजीब-सी बेचैनी होने लगती है यह कोई सुबह का अलार्म नहीं, बल्कि EMI की आखिरी तारीख़ का डर है जो धीरे-धीरे दिल की धड़कनें बढ़ा देता है। पहले EMI का मतलब सिर्फ़ एक भुगतान था, आज यह तनाव और चिंता का दूसरा कारण बन चूका है।
आँकड़े बताते हैं कि भारत में 10.6% व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे है। यह खामोशी हमारे समाज की उस छुपी हुई सच्चाई को उजागर करती है, जहाँ वित्तीय असुरक्षा और कर्ज़ के बढ़ते बोझ ने इस मानसिक संकट को और अधिक गहरा कर दिया है।
जब परिवार वाले आराम से सो रहे होते हैं, तब बहुत सारे लोग अपनी EMI का हिसाब कर रहे होते हैं। दिमाग में एक ही चीज़ चलती है:
मानसिक स्वास्थ्य के जानकार बताते हैं कि EMI का तनाव न सिर्फ़ हमारी नींद छीनता है, बल्कि यह चिंता और डिप्रेशन को भी बढ़ाता है।
अगर आपकी भी दिन रातें बैंकिंग या क्रेडिट ऐप्स को चेक करने, हर नोटिफिकेशन को सीधा धमकी समझने या लोन एजेंटों की बातें याद करते हुए गुज़रती हैं, तो समझ लें कि यह सिर्फ आपके साथ ही नहीं हो रहा।
जब भी Bank या Recovery Agent का मैसेज आता है, तो दिल की धड़कनें अचानक से तेज़ हो जाती हैं, पसीना आने लगता है और तनाव बढ़ता है। यह सब हमारे शरीर में होने वाले बदलावों का नतीजा है। लगातार चिंता की वजह से हमारी नींद ख़राब होती है, हम चिड़चिड़े हो जाते हैं और कई बार अचानक से Panic Attack भी आ जाते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि आर्थिक तनाव के कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, रिश्तों में दरार आती है और एक तरह का अकेलापन महसूस होता है। नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे के अनुसार, जागरूकता की कमी, और पेशेवरों की कमी के कारण मानसिक विकार वाले 70% से 92% लोगों को उचित उपचार नहीं मिल पाता है।
सिर्फ एक EMI छूटने पर लगातार फ़ोन कॉल, रिकवरी एजेंटों द्वारा लोगो के सामने अपमान, WhatsApp ग्रुप में शर्मिंदा करना और घर पर आकर धमकाना – ये सब बातें परेशानी को और भी ज्यादा बढ़ा देती हैं।
यह संकेत हैं कि EMI का डर आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है।
अगर आप भी नीचे दिए गए चीज़ो से गुजर रहे है, तो यह बात करने का सही समय है:
अगर आप भी रात में जागते हैं और दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं, तो याद रखें: आप अकेले नहीं हैं। महीने के अंत का डर एक सामूहिक भावना है। आज कल लोगो ने सोशल मीडिया पर, WhatsApp ग्रुप्स में बातचीत करना शुरू कर दिया है उम्मीद है आपके घर में भी।
चाहे आप किसी प्रोफेशनल से बात करें, हमारे SOS (Sounds of Silence) initiative से जुड़ें, या बस अपनी कहानी किसी दोस्त को सुनाएँ, आपको बस हर कदम इस खामोशी को तोड़ना है।
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EMI का लगातार तनाव चिंता, insomnia और डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ाकर मानसिक शांति को हानि पहुँचता है। यह पैनिक अटैक, चिड़चिड़ापन और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कम कर सकता है।
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SingleDebt की SOS (Sounds of Silence) पहल और Mann Talks मिलकर वित्तीय तनाव के भावनात्मक बोझ को कम करने में मदद करते हैं, यह मानते हुए कि सहायता मांगना Self-care है। यह पहल मुफ़्त हेल्पलाइन, सेल्फ-हेल्प टूल्स (जैसे माइंडफुलनेस ऑडियो सीरीज़ और ब्लॉग) प्रदान करती है, और साथ ही Enrolled Clients के लिए मुफ़्त 1:1 थेरेपी सेशन्स भी उपलब्ध हैं।